सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
एक से करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बात-चीत
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-क़ातिल में है।
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ओ आसमाँ
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है ।
खींच के लाई है सबको क़त्ल होने की उम्मीद
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है।
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