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शनिवार, २ एप्रिल, २०२२

समुच्चयबोधक शब्द

 

समुच्चयबोधक शब्द 


रमेश और सुरेश झगड़ रहे है |

रोहित पढ़ रहा है, परन्तु सचिन खेल रहा है |


इन वाक्यों में और शब्द 'रमेश' तथा 'सुरेश' शब्दों को तथा परन्तु शब्द 'रोहित पढ़ रहा है' और 'सचिन खेल रहा है' इन दो वाक्यों को जोड़ रहे हैं, अतः ये समुच्चयबोधक हैं |


समुच्चयबोधक की परिभाषा :- जो शब्द क्रिया या संज्ञा की विशेषता न बताकर दो या अधिक शब्दों अथवा वाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक कहते हैं | 

कुछ समुच्चयबोधक के उदाहरण 


और  

तथा  

या   

परंतु  

इसलिए  

क्योंकि  

चाहे   

तो   

नहीं तो  

जबकि  

समुच्चयबोधक के भेद 

समुच्चयबोधक के दो भेद होते हैं -


- समानाधिकरण समुच्चयबोधक ( और, तथा, या, अथवा, चाहे, परंतु, इसलिए )

- व्यधिकरण समुच्चयबोधक (क्योंकि, इसलिए, जिससे, ताकि, जो ...तो, अर्थात, मानों )


1.  समानाधिकरण समुच्चयबोधक- समान स्थिति वाले पदों, वाक्यांशों को आपस में समानता के आधार पर जोड़ने वाले अव्यय 'समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं | इसके चार भेद हैं -


- संयोजक (तथा, और, एवं)

- विभाजक (या, अथवा, चाहे)

- विरोधवाचक (पर, परंतु, लेकिन, किन्तु)

- परिणामवाचक (इसलिए, अतएव)  


संयोजक :

उदाहरण :- 

मैं और सोहन मित्र हैं |

मैं उसके घर गया तथा उसे पढ़ाया |

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘और’ तथा ‘तथा’ संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द है |

परिभाषा :- जो समुच्चयबोधक समान वर्ग के पदों, वाक्यांशों, वाक्यों आदि को जोड़ने का काम करते हैं, वे संयोजक कहलाते हैं | जैसे - तथा, और, एवं 


विभाजक :

उदाहरण :- 

तुम जाते हो या मैं ही चला जाऊँ |

आप चाय लेंगे अथवा कॉफी |

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘या’ तथा ‘अथवा’ विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द है |

परिभाषा :- जो समुच्चयबोधक एकाधिक शब्दों, वाक्यांशों, वाक्यों के अलगाव के प्रकटीकरण हेतु या समान महत्व की दो वस्तुओं अथवा व्यक्तियों में से एक के त्याग अथवा ग्रहण का बोध करवाते हुए दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं, वे विभाजक कहलाते हैं | जैसे - या, अथवा, चाहे आदि |


विरोधवाचक :

उदाहरण :- 

बादल छाए हुए हैं, परंतु वर्षा नहीं हो रही |

रामदीन गरीब है लेकिन है ईमानदार |

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘परंतु’ तथा ‘लेकिन’ विरोधवाचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द है |

परिभाषा :- दो विरोधार्थी उपवाक्यों को जोड़ने वाले शब्द विरोधवाचक कहलाते हैं; जैसे - पर, परंतु, लेकिन, किन्तु, बल्कि आदि |


परिणामवाचक :

उदाहरण :- 

अंकित ने परिश्रम किया, इसलिए वह प्रथम आया |

वह देर से आया, अतः खेल नहीं सका |

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘इसलिए’ तथा ‘अतः’ परिणामवाचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द है |

परिभाषा :-  जो अव्यय पहले उपवाक्य और उसके परिणाम को दर्शाने वाले तथा दूसरे उपवाक्यों को जोड़ते हैं, वे परिणामवाचक कहलाते हैं | जैसे - इसलिए, अतएव, अतः आदि |


2.  व्यधिकरण समुच्चयबोधक :- आश्रित उपवाक्यों को जोड़ने वाले योजक व्यधिकरण योजक/समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं | इसके चार भेद हैं -

- कारणवाचक (चूँकि, क्योंकि, ताकि, इसलिए)

- संकेतवाचक (यदि- तो, जो- तो, यद्यपि - तथापि)

- उद्देश्यवाचक (जिससे, ताकि)

- स्वरूपवाचक (अर्थात, मानो, यानी)  


कारणवाचक :

उदाहरण :- 

बच्चा रोने लगा क्योंकि वह नीचे गिर गया था |

मन लगाकर पढ़ो ताकि अच्छे अंक आ सके |

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘क्योंकि’ तथा 'ताकि’ कारणवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्द है |

परिभाषा :- जो अव्यय शब्द दो उपवाक्यों को जोड़ने के साथ - साथ मुख्य उपवाक्य की बात का कारण भी स्पष्ट करें, वे कारणवाचक कहलाते हैं | जैसे - क्योंकि, इसलिए, चूँकि, ताकि, कि आदि |


संकेतवाचक :

उदाहरण :- 

यद्यपि वह गरीब है, तथापि ईमानदार है |

यदि वर्षा होती तो फ़सल अच्छी होती |

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘यद्यपि......तथापि’ तथा 'यदि......तो’ संकेतवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्द है |

परिभाषा :- जो अव्यय दो उपवाक्यों को संकेत से जोड़ते हैं तथा सदा युग्म या संयुक्त रूप में अपना अर्थ प्रदान करते हैं, वे संकेतवाचक कहलाते हैं | जैसे : जो ...तो, यदि ....तो, यद्यपि ....तथापि आदि |


उद्देश्यवाचक :

उदाहरण :-

दान देना चाहिए ताकि परलोक सुधर जाए |

कठोर परिश्रम करें जिससे परीक्षा में सफलता प्राप्त हो सके |

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘ताकि’ तथा 'जिससे’ उद्देश्यवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्द है |

परिभाषा :- जो अव्यय शब्द दो उपवाक्यों को जोड़ने के साथ - साथ मुख्य उपवाक्य कि बात का उद्देश्य प्रकट करें, वे उद्देश्यवाचक कहलाते हैं ; जैसे : जिससे, ताकि, कि आदि |

स्वरुपवाचक :

उदाहरण :-

फूलों पर ओस के कण मानो मोती चमक रहे हैं |

'तमसो मा ज्योतिर्गमय' अर्थात हे प्रभु ! हमें अंधकार से प्रकाश कि तरफ़ ले चल | 

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘मानो’ तथा 'अर्थात’ स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्द है |

परिभाषा :- जो अव्यय दो उपवाक्यों को जोड़ने के साथ - साथ वाक्य के मुख्य कथन के स्वरूप का स्पष्टीकरण आश्रित उपवाक्य में कर देते हैं, वे स्वरूपवाचक कहलाते हैं | जैसे : मानो, अर्थात आदि |

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